उपचुनाव में मायावती बढ़ा सकती हैं कांग्रेस की मुश्किलें
रिपोर्ट: हरज्ञान सिंह कुशवाह
ग्वालियर:मधाप्रदेश/ भगीरथ प्रयास न्यूज नेटवर्क ब्यूरो रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के १० मार्च को भाजपा में शामिल होने के बाद उनके समर्थन में कांग्रेस के २२विधायकों ने स्तीफा दे दिया था। जिसके चलते कमलनाथ को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी गवानी पढ़ी थी। स्तीफे से खाली हुई प्रदेश की२२ व २ विधायकों के निधन से २४ सीटों पर प्रदेश में उप चुनाव होने हैं। ज्यादा तर सीटें ग्वालियर चंबल संभाग की है यहां पर बसपा के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। करेरा, अशोकनगर, डबरा, मुरैना, भांडेर,गोहद,मेहगांव, अंबाह, दिमिनी,सुमावली, और जोरा इन सीटों पर पहले बसपा विधायक चुने जा चुके हैं। इन सीटों पर बसपा का परंपरागत वोट बैंक निर्णायक साबित हो सकता है। पिछ्ले चुनाव में जोरा और पोहरी विधानसभा सीट पर बसपा प्रत्यासी दूसरे नंबर पर रहे थे। इसके अलावा बसपा ने पांच से छह सीटों पर निर्णायक वोट हासिल किए थे। भाजपा को राज्य की सत्ता में काबिज बने रहने के लिए ११६ सीटों की जरूरत होगी। भाजपा को २४ सीटों में बहुमत के लिए ९ सीटों पर जीत दर्ज करनी पड़ेगी। भाजपा के पास १०७ विधायक हैं।अभी तक कांग्रेस यह मानकर चल रही थी कि इन २४ सीटों पर उसका सीधा मुकाबला भाजपा से है।कोंग्रेस छोड़कर भाजपा में आए चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को जनता को जवाब देना मुश्किल होगा। डेढ साल तक कांग्रेस की सरकार को अपना समर्थन देकर मायावती ने उपचुनाव में उम्मीदवार खड़ा करने के ऐलान से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है। वर्तमान में बसपा के २ विधायक संजीव कुशवाह भिंड व रामबाई परिहार पथरिया से है। दोनों ने प्रदेश की भाजपा सरकार को समर्थन दिया है। प्रदेश की सभी २४ सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा ने अकेले लड़ने के ऐलान से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं बसपा के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया जल्द ही उम्मीदवारों के आवेदन लिए जाएंगे नामों का पैनल बनाकर बसपा सुप्रीमों को भेजा जाएगा इसका अन्तिम फैसला बसपा सुप्रीमों लेंगी।